तू क्यों डरता है,
हे आसमानी ख़ुदा की अमानत?
सुन ली है उसने
तेरे दिल की मन्नत
तू क्यों है व्याकुल,
हे चुना हुआ पात्र?
उसके वायदों के बिछौने पर
कर विश्राम तू मात्र
तू क्यों है भयभीत, प्रीत मेरे?
उसके सिद्ध प्रेम में
हो जा बेपरवाह
कह दे मन को तेरे
क्यों डगमगाती है
तेरे विश्वास की नीव?
उसके सर्वोच्च नाम के आगे
झुकता है हर एक जीव
क्यों करता है तू संदेह?
उसके नाम से भी
बलवंत है उसका मुँह
क्यों रोती है तेरी आँखें?
नहीं तोड़ेगा तेरा भरोसा
बनेगी गवाह उसकी
तेरी यही गीली आँखें