क्या पहाड़, क्या गगन, क्या समुद्र
सामर्थ्य की परिभाषा
है तेरी आराधना
ना डरु मैं अंधियारे से
शत्रु का डर मुझे छू न सके
मेरा कवच, मेरी तलवार
है तेरी आराधना
भूल जाऊ मैं रणभूमि को
ना रहे मुझे स्मरण शत्रुओं का
हो जाऊ मगन तेरी आराधना में
देखों बदल गई रणभूमि विजयभूमि में
गर हो जाऊ मैं घायल
शत्रु की तलवार से
रहूं मैं महफूज़
तेरी आराधना की आवाज़ में
जब हो जाए जीवन उथल-पुथल
जब भूल जाए रास्ते मेरे चरण
पाऊ मैं तेरी शांति
तेरी आराधना की आवाज़ में